बिहार को अगले 10 सालों में देश के अग्रणी राज्यों में खड़ा करना – प्रशांत किशर

पुनीत कुमार मौर्य/एडिटर इन चिफ

गोरेयाकोठी/सिवान – जन सुराज पदयात्रा के 132वें दिन की शुरुआत सिवान के सादीपुर पंचायत स्थित पदयात्रा शिविर में सर्वधर्म प्रार्थना से हुई। इसके बाद प्रशांत किशोर सैकड़ों पदयात्रियों के साथ पुरैना गांव से पदयात्रा के लिए निकले। आज जन सुराज पदयात्रा सादीपुर, सरारी दक्षिण, मुस्तफाबाद, लिलारू औरंगाबाद, सैदपुरा, सतवार होते हुए सानी बसंतपुर पंचायत में शहीद भगत सिंह इंटर कॉलेज स्थित जन सुराज पदयात्रा शिविर में रात्रि विश्राम के लिए पहुंची। प्रशांत किशोर की पदयात्रा का सिवान में आज पांचवां दिन है। वे जिले में 12 से 18 दिन और रुकेंगे और इस दौरान वे अलग-अलग गांवों और प्रखंडों में पदयात्रा के माध्यम से जनता के बीच जायेंगे। इस दौरान वे जनता की समस्याओं को समझ कर उनका संकलन कर उसके समाधान के लिए ब्लू प्रिंट तैयार करेंगे। दिनभर की पदयात्रा के दौरान प्रशांत किशोर 3 आमसभाओं को संबोधित किया और 7 पंचायत के 11 गांवों से गुजरते हुए 11.5 किमी की यात्रा तय की।

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना में भ्रष्टाचार करने की सुनियोजित व्यवस्था बनी हुई है, बीजेपी विधायक भी इसमें शामिल

पदयात्रा शुरू होने से पहले कैंप में स्थानीय पत्रकारों के साथ संवाद कार्यक्रम में प्रशांत किशोर ने कहा कि अभी जो केंद्र की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना चल रही है, जिसमें लाभार्थियों को 5 किलो अनाज मिलने की बात कही गई है। बिहार में व्यवस्थित तरीके से किसी भी व्यक्ति को 5 किलो नहीं बल्कि 4 किलो अनाज ही मिल रहा है। ऐसी चोरी की व्यवस्था शायद ही पूरे देश में कहीं हो, क्योंकि हर प्रखंड में 15 सौ से 25 सौ क्विंटल अनाज हर महीने आता है और इसमें व्यवस्थित तरीके से 40 रूपए प्रति क्विंटल के औसत से कमीशन या भ्रष्टाचार के तौर पर निकाला जाता है। यह पैसा जनप्रतिनिधियों और अफसरों के बीच में बंट रहा है। प्रशांत किशोर ने कहा कि मैं कैमरे के सामने यह बात बोल रहा हूं कि ज्यादातर जगहों पर विधायक इसमें शामिल हैं। उन्होंने आगे कहा कि एक ओर दिल्ली में भाजपा की सरकार है, जो दावा रही है कि हम लोगों को मुफ्त में अनाज भेज रहे हैं। दूसरी ओर ज्यादातर जगहों पर जहां मैं यात्रा के दौरान पैदल चल रहा हूं, वहां भाजपा के विधायक हैं जो उसी गरीब कल्याण योजना में 40 रूपए प्रति क्विंटल की दर से कमीशन ले रहे हैं जिसकी वजह से लाभार्थियों को 5 किलो की जगह 4 किलो ही अनाज मिल रहा है।

नीतीश कुमार के शासनकाल में बदहाल शिक्षा व्यवस्था के कारण दो पीढ़ियां अशिक्षित रह गई

मीडिया से संवाद के दौरान प्रशांत ने बिहार की बदहाल शिक्षा व्यवस्था का मुद्दा उठाते हुए कहा कि नीतीश कुमार जो खुद पढ़े लिखे व्यक्ति हैं, उनके 17-18 साल के शासनकाल में बिहार की शिक्षा व्यवस्था का ध्वस्त हो जाना उनके कार्यकाल का सबसे बड़ा काला अध्याय है। अगर मान लीजिए सड़क टूट गई है, नहर नहीं है तो हो सकता है कि कल एक अच्छी सरकार आ जाए जिसके द्वारा सड़क और नहर का निर्माण हो जाए। लेकिन जो दो पीढ़ियां इस ध्वस्त शिक्षा व्यवस्था से पास होकर निकल गई है, या जिनकी उम्र बीत गई है, अब अगर एक अच्छी सरकार आ भी जाए तो भी वह लोग वापस आकर अपने स्कूल या कॉलेज की शिक्षा को नहीं ले सकते हैं। जीवनभर उनको शिक्षित समाज के पीछे ही चलना होगा। समतामूलक शिक्षा व्यवस्था बनाने के नाम पर पूरे बिहार में उत्क्रमित विद्यालय और नियोजित शिक्षकों का जाल बनाने की कोशिश की गई है, शिक्षा व्यवस्था उसी से ध्वस्त हुई है। विद्यालयों में खिचड़ी बंट रही है और कॉलेजों में डिग्री बंट रही है, पढ़ाई कहीं नहीं हो रही है।

जन सुराज मकसद है बिहार को अगले 10 सालों में देश के अग्रणी राज्यों में खड़ा करना

जन सुराज अभियान का उद्देश्य बताते हुए एक सवाल के जवाब में प्रशांत किशोर ने कहा कि जन सुराज कोई राजनीतिक- सामाजिक अभियान नहीं है। मैं इसका नेता नहीं हूं, मैं इसका सूत्रधार हूं। मैं इस सोच के साथ निकला हूं कि समाज के जरिए एक नई राजनीतिक व्यवस्था बनाई जाए। समाज के बीच से अच्छे लोगों को चिन्हित करके निकला जाए और अगर वह सभी लोग मिलकर दल बनाएंगे तो मेरी भूमिका यह है कि उनकी मदद की जाए ताकि वह दल बना सकें जिससे कि अच्छा विकल्प जनता के सामने हो। साथ में मेरी एक और भूमिका है कि उनके पास एक सोची समझी रणनीति और योजना हो ताकि बिहार को अगले दस साल में देश के दस अग्रणी राज्यों में शामिल किया जा सके इसी के लिए प्रयास कर रहे हैं।

शराबबंदी से बिहार का नुकसान हो रहा है, इसे तत्काल हटाना चाहिए

प्रशांत किशोर ने शराबबंदी को लेकर पपूछे गए सवाल का जवाब को देते हुए कहा कि मैं हर दिन खुले मंच से कहता हूं कि शराबबंदी हटाया जाना चाहिए। मैं पहले दिन से कह रहा हूं शराबबंदी बिहार के लिए कभी फायदेमंद नहीं है, इसका सिर्फ नुकसान है। दुनिया भर में कोई ऐसा उदाहरण नहीं है, जहां किसी राज्य ने, किसी देश ने शराबबंदी के जरिए अपना सामाजिक राजनीति का उत्थान किया हो। जो भी बोलते हैं कि गांधी जी ने शराबबंदी की बात कही है, मैं इस बात को सिरे से खारिज करता हूं। मैं कैमरे पर चुनौती दे रहा हूं, जो भी यह दावा करते हैं वह मुझे लाकर दिखा दे कि गांधी जी ने यह कहां कहा है कि सरकार को शराबबंदी लागू करना चाहिए। उन्होंने यह जरूर कहा है कि शराब पीना बुरी बात है, इसको रोकने के लिए समाज को प्रयास करना चाहिए। उन्होंने ये कभी नहीं कहा कि कानून बनाकर शराबबंदी लागू करना चाहिए।

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