प्राचिन किले को नही मिला बिरासत का दर्जा, बलुआ गाँव स्थित 125 साल पुराने किले की है कई खुबिया
आज भी जिले के प्राचीन इमारतों में से एक है नूरी मिया किला
बचेंद्र दीक्षित की रिपोर्ट
गुठनी/सीवान – गुठनी प्रखण्ड के बलुआ गांव स्थित जिले के सबसे प्राचीन इमारतो में से एक नूरी मिया का किला राज्य सरकार व स्थानीय अधिकारियों के उपेक्षा का शिकार रहा है। आज से करीब 125 बर्ष पूर्व बने इस किले की कई खुबिया है। इस किले का सबसे रोचक तथ्य यह है कि वो पूरी तरह पत्थर व सुर्ख चुने से बना हुआ है। इस पूरे इमारत को बनाने मे कही भी ईट का प्रयोग नही किया गया है। इस किले में लगे पत्थरो को इस तरह तरासा गया है कि इनको देखने से लगता है कि आज भी वो पूरी तरह से नए है। नूरी मिया के किले का मुख्य द्वार पूर्णतया पत्थरो से बना हुआ है। साथ ही उसपर बनाई गई कला कृतियों को काफी आकर्षक ढंग से बनाया गया है। इसको देखने से लगता है कि कलाकारों ने अपनी कला का पूरा बिबरण ही मानो लिख दिया है। इसके मुख्य द्वार पर पत्थरो पर इतनी बारीक कलाकीर्ति को देखने से लगता है कि वो आज की बनी हुई है। मुख्य दरवाजे पर बनी इस कला को हिन्दू मुस्लिम एकता के रूप में भी देखा जाता है। उसके ऊपरी हिस्से पर कुछ कोड लिखा हुआ है। जिसको आज तक पढ़ा नही जा सका है। यह किला बलुआ बसुहारी मुख्य मार्ग पर स्थिति है।
अद्भुत घर जिसमे सारी सुबिधाए आज भी है मौजूद
प्राचीन नूरी मिया के किले के अंदर अद्भुत घर बना हुआ है। जिसमे लगभग 70 कमरे बने हुए है। तथा इसके अंदर लगभग 10 कुए है। प्रत्येक कुँए में ठंढे या गर्म जल की ब्यवस्था थी। यह किला करीब 3 बीघे जमीन में बना हुआ है। इसके प्रत्येक कमरे में अलग अलग खिड़किया व कलाकीर्ति बनी हुई है। करीब 125 बर्षो की लकड़ी की बनी हुई कुर्सियां, कीमती धातुओं की बनी पलँग, व अन्य बस्तुए आज भी सुरक्षित है। बताया जाता है कि इस किले को बनाने मे सैकड़ो कारीगरों ने अपनी कला से इसको सुन्दर रूप दिया। इसके मुख्य कलाकार की कला से खुश होकर राजा ने इसको अपने यह नौकरी दिया।
भुल भुलैया कमरे किले के आकर्षण का केंद्र
नूरी मिया किले की सबसे आकर्षण का केंद्र उसके कमरे है। जिसमे आने जाने के लिये दो तरह के सीढ़िया है। अगर भूल से किसी ने भी दूसरी सीढ़ी का इस्तेमाल कर दिया तो वो उसी में चक्कर लगाते रहेगा नूरी मिया किले में लगे झालरे काफी कीमती है। लोगो की माने तो पोलमाइड तथा अन्य धातुओं से बनी झालरे अगर इसको सजा दिया जाए तो किसी भी तरह की रौशनी की जरूरत नही है।